मंगलवार, 4 अगस्त 2015

मगर आज शायद रिमझिम में ……यूँही भीगेंगी ये चिड़िया रात भर

तिनका तिनका जोड़कर 
उसने   घर बनाया था  पेड़   पर 
मगर अचानक बरसात में गिर गया पेड़ 
और चिड़िया हो गई घर से बैघर 

कहने को एक  घौंसला ही था
 सब कुछ उसका था उसमे मगर 
था परिवार   भी। … था संसार भी 
वो चिड़िया का घर उजड़ गया मगर



जब अंडे भी गिरकर टूट गए 
फिर चिड़िया रोइ  तो होगी मगर 
कैसे इसका दर्द  समझूँ मै 
कैसे इसकी भाषा में .... इससे बातें करूँ मगर 



ये नन्ही सी बेचारी चिडया 
अब कहाँ इन्साफ  को अदालत लड़ेगी 
कहाँ अपना गुस्सा जाहिर करेगी 
बस कल से नया बसेरा बुनेगी 
 मगर आज शायद रिमझिम में   ……यूँही भीगेंगी  ये चिड़िया रात भर 

है विधाता   है इंद्र देव
 इस गरीबन  पे थोड़ी रहम कर 
तू ये आँधी के झोके ना चला 
बरसात चाहे तू खूब कर 

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